Sunday, June 3, 2018


मैंने पढ़ी एक कविता
जो लिखी
टेरेस पर के गमले में
अंकुआए बीज की
कुलमुला कर आंख खोलती
नन्हीं दो पत्तियों ने,
और जो रची
खिड़की सामने के अमलतास के
इकलौते बासंती रेशमी गुच्छे पर झूलती
सनबर्ड ने,
वो जो कही
चोंच में तिनका दबाए
घोसला बनाती
दूर से उड़ आती
चिड़िया ने,
और अखबार के पन्नों पर
जम कर सूख गए
कत्थई थक्कों पर
ज्यों उचक आई
हल्की हरी दूब।


03.04.18

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