हरी घास के बीच
घुमावदार रास्ते पर
पैरों तले कुचली
कचनार की उस पांखुरी ने
अपनी चटक बैंगनी मुस्कान
मेरी तरफ उछाली,
अवसाद के
घटाटोप बादलों के बीच
उम्मीद की किरण
दिपदिपाई.
घुमावदार रास्ते पर
पैरों तले कुचली
कचनार की उस पांखुरी ने
अपनी चटक बैंगनी मुस्कान
मेरी तरफ उछाली,
अवसाद के
घटाटोप बादलों के बीच
उम्मीद की किरण
दिपदिपाई.
वाह उम्मीद....
ReplyDelete।
Hi Namita,
ReplyDeleteI just discovered the Bheembetka cave painting pictures on your other blog through a google search. I would like to ask your permission to use one of them in an article that I am writing for the infobarrel website.
I hope you don't mind me commenting here, I couldn't find a better way to contact you.
Thanks, ed